कौन कहता है लोग फेसबुक पर फेस दिखाते हैं, मुखौटा औड़ कर, सच-झूठ की
खिचड़ी पकाते हैं
घूम-घूम कर आते हैं देश-विदेश, फोटोस लगा-लगा कर घर में हमारे अशांति मचाते हैं
कौन कहता है लोग फेसबुक पर फेस दिखाते हैं
बंटता है ज्ञान यहॉं हर एक पोस्ट पर, जाने कितना सच , कितना अज्ञान फैलाते हैं
कौन कहता है लोग फेसबुक पर फेस दिखाते हैं
पेरेंट्स डे, डॉटर्स डे, टीचर्स डे, ना जाने कौन-कौन से उत्सव मनाते हैं,
घरों में झांक कर देखो तो,
सब रिश्तों को तन्हा ही पाते हैं
कौन कहता है लोग फेसबुक पर फेस दिखाते हैं
जो धर्म-अधर्म की पोथी खोल कर बैठते हैं यहॉं पर,
अक्सर वही सबसे ज़्यादा अहिंसा फैलाते हैं,
कौन कहता है लोग फेसबुक फेस दिखाते हैं, मुखौटा औड़ कर सच-झूठ की खिचड़ी पकाते हैं
कौन कहता है लोग फेसबुक पर फेस दिखाते हैं
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