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Friday, September 8, 2017

मेरी एक सहेली कुवारी रह गई




मेरी एक सहेली कुवारी रह गई, दुनिया की चकाचोंध में अंधयारी रह गई ॥

शकल -सूरत से तो ठीक थी,  टक्के-पैसे से भी रहीस थी ।
आशिक़ों की लम्बी लिस्ट थी, खुद को रखती भी एक दम फिट थी ।
एक अनसुलझी पहेली रह गई, कैसे ये सुन्दर कन्या अकेली रह गई॥

नौकरी-चाकरी तो ठीक-ठाक थी , आनसाइट जाने की भी सुनी बात थी ।
रिश्ते भी आए बहुत थे,फॉरेन में भी उसके बहुत दोस्त थे ।
मिला नहीं उसको मन का मेल , सब ही है विधाता का खेल ।
पढाई डिग्री सब धरी रह गई,कैसे ये लड़की छड़ी रह गई ॥

सबके तानों से वो घायल हो गई, चेहरे की मुस्कान भी रवाना हो गई ।
धीरे-धीरे वो मजबूरी बन गई, सब रिश्तों से उसकी दूरी बन गई ।
फेसबुक व्हाट्सप्प के सब कांटेक्ट छूट गए, सच्चे झूठे सब रिश्तें-नाते टूट गए ।
अब मिलता नहीं उसका कोई अपडेट है, लोग कहते हैं सब का अपना-अपना फेट (fate)  है  ॥
मेरी एक सहेली कुवारी रह गई, खुशियों भरे इस संसार में अधूरी रह गई, मेरी एक सहेली कुवारी रह गई ॥

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