थोड़ा ही सही मन में अपने जगह दो ।
थोड़ा ही सही मन में अपने जगह दो ।
क्षणभर को ही सही, लम्हों में अपनी पनाह दो ॥
ये चाहत है हमारी, जो तुमको तवज्जो देती है ।
ये चाहत है हमारी, जो तुमको तवज्जो देती है ।
नहीं तो वक़्त मेरा भी कीमती बहुत है ॥
हम व्यापार करते नहीं जज़्बातों का ।
हम व्यापार करते नहीं जज़्बातों का ।
नहीं तो खरीदार बहुत हैं ॥
साथ हैं एक छत के नीचे, सिर्फ अपनेपन की चाहत को ।
साथ हैं एक छत के नीचे, सिर्फ अपनेपन की चाहत को ।
नहीं तो रात गुज़ारने को मिलते आशियानें बहुत हैं ॥
रिश्तों को सींचा जाता है, प्यार और विश्वस की बरसात से ।
रिश्तों को सींचा जाता है, प्यार और विश्वस की बरसात से ।
सिर्फ पैसों के दम पर, घर बसते नहीं ॥
ये ज़िद्द है हमारी घर-संसार अपना बचाने की,
तभी तो इतना गिड़गिड़ाते हैं ।
लातमार कर ठुकराने में वरना कौन सी ताकत है ॥
रिश्तों में हम अहंकार लाते नहीं,
रिश्तों में हम अहंकार लाते नहीं,
रिश्तों में हम अहंकार लाते नहीं,
नहीं तो खुद्दार हम भी बहुत हैं ॥
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