Tracking Code

Monday, March 18, 2019

खुद्दार

थोड़ा ही सही मन में अपने जगह दो ।
थोड़ा ही सही मन में अपने जगह दो ।
क्षणभर को ही सही, लम्हों में अपनी पनाह दो ॥

ये चाहत है हमारी, जो तुमको तवज्जो देती है ।
ये चाहत है हमारी, जो तुमको तवज्जो देती है ।
नहीं तो वक़्त मेरा भी कीमती बहुत है ॥

हम व्यापार करते नहीं जज़्बातों का ।
हम व्यापार करते नहीं जज़्बातों का ।
नहीं तो खरीदार बहुत हैं ॥

साथ हैं एक छत के नीचे, सिर्फ अपनेपन की चाहत को । 
साथ हैं एक छत के नीचे, सिर्फ अपनेपन की चाहत को ।
नहीं तो रात गुज़ारने को मिलते आशियानें बहुत हैं ॥

रिश्तों को सींचा जाता है, प्यार और विश्वस की बरसात से ।
रिश्तों को सींचा जाता है, प्यार और विश्वस की बरसात से ।
सिर्फ पैसों  के दम पर, घर बसते नहीं ॥

ये ज़िद्द है हमारी घर-संसार अपना बचाने की, 
तभी तो इतना गिड़गिड़ाते हैं । 
लातमार कर ठुकराने में वरना कौन सी ताकत है ॥

रिश्तों में हम अहंकार लाते नहीं,
रिश्तों में हम अहंकार लाते नहीं,  
नहीं तो खुद्दार हम भी बहुत हैं ॥

No comments:

Post a Comment

Your comments are an encouragement to keep this blog going, so do leave a comment. We greatly appreciate your comments.