कल तक मेरी दुनिया चार-दीवारी थी ।
टीवी पर न्यूज़ सुनना, मानो मजबूरी थी॥
समय बदला, स्थान बदला, दिन-काल, संसार बदला ।
कलतक जो आँगन की छुई-मुई थी, आज NRI हुई ।
देश से निकलकर देश से एक नई पहचान हुई ॥
नए-नए लोगों से आलाप हुआ, कुछ मीठा-मीठा संवाद हुआ ।
जब सम्बन्ध गहराया तो, असलियत से मुलाकात हुई ॥
औपचारिकता के दायरे से बाहर लोग पूंछते हैं ।
क्या भारत की सड़कों पर बलात्कारी घूमते हैं ॥
जहां 8-महीने की बच्ची नहीं सुरक्षित है, कैसी विकृत, संकुचित मानसिकता है ।
कैसे कहूं निर्भया एक दुखित अपवाद है, जहां देश का आंकड़ा देता कुछ और ही गवाई है ॥
समय के तूफ़ान में सारा सुनहरी इतिहास मटमैला हो गया ।
भारत मेरा नाजाने कब बहन-बेटियों की इज़्जत का लुटेरा हो गया ॥
कब तक छिपाऊं अपने देश के ज़ख़्मों को, कहकर बाहरी ताकतों का है प्रोपेगंडा ।
जहॉं कभी जीन्स, कभी साड़ी, या शायद लड़की होना ही है बलात्कार का फंडा ।
किस विश्वास से कहूं, visit my country , it is Incredible !ndia ॥
टीवी पर न्यूज़ सुनना, मानो मजबूरी थी॥
समय बदला, स्थान बदला, दिन-काल, संसार बदला ।
कलतक जो आँगन की छुई-मुई थी, आज NRI हुई ।
देश से निकलकर देश से एक नई पहचान हुई ॥
नए-नए लोगों से आलाप हुआ, कुछ मीठा-मीठा संवाद हुआ ।
जब सम्बन्ध गहराया तो, असलियत से मुलाकात हुई ॥
औपचारिकता के दायरे से बाहर लोग पूंछते हैं ।
क्या भारत की सड़कों पर बलात्कारी घूमते हैं ॥
जहां 8-महीने की बच्ची नहीं सुरक्षित है, कैसी विकृत, संकुचित मानसिकता है ।
कैसे कहूं निर्भया एक दुखित अपवाद है, जहां देश का आंकड़ा देता कुछ और ही गवाई है ॥
समय के तूफ़ान में सारा सुनहरी इतिहास मटमैला हो गया ।
भारत मेरा नाजाने कब बहन-बेटियों की इज़्जत का लुटेरा हो गया ॥
कब तक छिपाऊं अपने देश के ज़ख़्मों को, कहकर बाहरी ताकतों का है प्रोपेगंडा ।
जहॉं कभी जीन्स, कभी साड़ी, या शायद लड़की होना ही है बलात्कार का फंडा ।
किस विश्वास से कहूं, visit my country , it is Incredible !ndia ॥
No comments:
Post a Comment
Your comments are an encouragement to keep this blog going, so do leave a comment. We greatly appreciate your comments.